BESS Sector में बंपर ग्रोथ आने वाली! 2032 तक 47GW क्षमता, ये 7 शेयर देंगे मल्टीबैगर रिटर्न

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BESS Sector : भारत में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है। सूर्य और पवन ऊर्जा ने बिजली उत्पादन में बड़ा योगदान दिया है, लेकिन ये स्रोत लगातार नहीं चलते। ऐसे में ऊर्जा स्टोरेज सिस्टम यानी BESS बहुत अहम है, जिससे रिन्यूएबल एनर्जी को अधिकतम किया जा सकता है और ग्रिड की स्थिरता बनी रहती है।

सरकार ने 2032 तक 74 GW बैटरी स्टोरेज क्षमता का लक्ष्य रखा है, जबकि फिलहाल 205 MW की BESS क्षमता स्थापित है। बीते तीन-चार वर्षों में BESS की लागत प्रति मेगावाट प्रति माह ₹10 लाख से घटकर ₹2.5 लाख हो गई है। आने वाले वर्षों में भारत को 2032 तक स्टोरेज सेक्टर में $40-50 बिलियन (₹3-4 लाख करोड़) का नया निवेश करना पड़ेगा।

रिन्यूएबल एनर्जी की वर्तमान स्थिति

भारत ने साल 2025 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में 22-30 GW अतिरिक्त रिन्यूएबल क्षमता जोड़ी है, जिससे देश की कुल रिन्यूएबल क्षमता करीब 220 GW हो गई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक यह क्षमता 500 GW तक पहुंच जाए। हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में जोड़ी गई नई बिजली उत्पादन क्षमता का 87% यानी करीब 29.5 GW हिस्सा सोलर और विंड एनर्जी से आया है।

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BESS Sector से जुड़ी प्रमुख छोटी कंपनियां

Advait Infratech Ltd

पावर ट्रांसमिशन उन्‍नति के साथ यह कंपनी 1 GW बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट डेवेलप करने की योजना पर काम कर रही है। EPC सेवाओं में अनुभव के कारण कंपनी को ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन का लाभ मिलेगा।​

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Bondada Engineering Ltd

सोलर EPC व टॉवर फाउंडेशन सेक्टर में तेलंगाना GENCO के 240 करोड़ रुपये के BESS प्रोजेक्ट की सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी है। कंपनी के पास 1,000 करोड़ की प्रोजेक्ट पाइपलाइन है। इस शेयर में 2025 में 0.38% की उछाल दर्ज की गई है।​

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Jupiter Wagons Ltd

रेल वैगन और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्षेत्र में फोकस Jupiter Wagons के पास अब बैटरी स्टोरेज सिस्टम्स के ऑर्डर हैं। इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन का फायदा मिलता है।​

Quality Power Electrical Equipments Ltd

अपने सेक्टर में कंपनी ने BESS सिस्टम बनाने वाली STATCON Energiaa में बहुमत हिस्सेदारी खरीदी है, जिससे देशी मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती मिलेगी।​

Himadri Specialty Chemicals Ltd

यह कंपनी लिथियम-आयन बैटरियों के लिए एनोड मटेरियल बनाती है और बैटरी सप्लाई चेन में बैकवर्ड इंटीग्रेशन की क्षमता रखती है। भारत में कम कंपनियों के पास ऐसी स्पेशियलिटी है।​

PCBL Ltd. (Phillips Carbon Black)

बैटरी केमिकल्स और कार्बन ब्लैक क्षेत्र की यह कंपनी अल्ट्रा-कंडक्टिव बैटरी केमिकल्स विकसित कर रही है। भारत में EV और BESS दोनों क्षेत्रों की मांग से कंपनी को फायदा मिलेगा।​

IEX (Indian Energy Exchange)

यह पावर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बैटरी इंटीग्रेशन के जरिए वॉल्यूम और रेवन्यू दोनों में ग्रोथ की संभावना देखता है।​

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