Solar Sector की सच्चाई: चमक के पीछे कितना अंधेरा? जानिए भारत का एनर्जी फ्यूचर

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Solar Sector : भारत में सोलर एनर्जी की क्षमता पिछले 10 सालों में तेज़ी से बढ़ी है। 2014 में सिर्फ 2.3 गीगावाट थी, जबकि अक्टूबर 2025 तक यह 123 गीगावाट पर पहुंच गई है। भारत अब सोलर एनर्जी उत्पादन में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है, केवल चीन और अमेरिका से पीछे है। Ministry of New and Renewable Energy के अनुसार, 2025 के अंत तक कुल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 242.6 गीगावाट पहुंच गई है जिसमें सोलर का हिस्सा करीब 51% है ।

उत्पादन

सिर्फ 2025 के पहले छह महीनों में, भारत ने 44.2 गीगावाट सोलर मॉड्यूल और 7.5 गीगावाट सोलर सेल निर्माण क्षमता जोड़ी। यह तेजी मुख्य रूप से सरकार की योजनाओं और बड़े प्रोजेक्ट पाइपलाइन के कारण आई है। बड़ी कंपनियाँ अपनी उत्पादन क्षमता का 80-85% इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन छोटी कंपनियों के लिए हालत उलझन वाली है, जो अपनी क्षमता का सिर्फ 25% उपयोग कर पा रही हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में इंस्टॉलेशन सिर्फ 24 गीगावाट ही रही, जबकि मैन्युफैक्चरिंग ढेरों बढ़ गई है ।

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अमेरिकी बाजार

2024 में भारत ने अमेरिका को करीब 4.4 गीगावाट सोलर मॉड्यूल भेजे। लेकिन 2025 में अमेरिका ने भारतीय मॉड्यूल पर 50% टैरिफ और एंटी-डंपिंग जांच लगा दी, जिससे निर्यात काफी कम हो गया। अब घरेलू बाजार और कुछ अन्य देशों (जापान, जर्मनी, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया) में ही कंपनियां अपनी राह तलाश रही हैं ।

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सरकारी योजनाएं

भारत सरकार ने PLI स्कीम, ALMM मॉडल, और इंपोर्ट ड्यूटी जैसे नियम लाकर घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है। इसके बावजूद, सोलर पैनल एवं सेल के लिए कच्चा माल (चाइनीज वेफर और पॉलीसिलिकॉन) अब भी चीन से ही आता है। वित्त वर्ष 2025 में मॉड्यूल इंपोर्ट में 51% और सेल इंपोर्ट में 11% की गिरावट आई, फिर भी चीन की हिस्सेदारी बढ़ गई है ।

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प्रमुख निवेश

अडानी ग्रुप ने 2030 तक 2.3 ट्रिलियन रुपए निवेश की घोषणा की है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों में बड़े-बड़े सोलर पार्क्स बन रहे हैं। इसके अलावा, रिलायंस, टाटा, वारी एनर्जी, विक्रम सोलर जैसी कंपनियां नए प्रोजेक्ट्स ला रही हैं। भारत ने 2025 में 18.4 गीगावाट नए सोलर इंस्टॉलेशन किए, जिसमें गुजरात टॉप पर रहा ।

Solar Sector

सोलर इंडस्ट्री को अब अपनी क्षमता के हिसाब से खरीदार और बाज़ार तलाशने की जरूरत है। उत्पादन जितना बढ़ा है, उतनी मांग नहीं बढ़ी है। अगर भारत अपनी सोलर क्षमता को निर्यात और घरेलू बाजार में खपा सके, तभी यह क्षेत्र ग्लोबल हब बनेगा। नई सरकारी नीतियों और वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए, आगे का रास्ता आसान नहीं है.

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